Remembrance

Remembering Romesh Chandra Ji


9 सितंबर 1981. एवं 12.मई 1984 को ‌कैसे भुलाया जा सकता है। दोनों दिन हमारी जिंदगी में भयावह थे। 9 सितंबर को लाला जी को और‌12मई को‌ रमेश जी को क्रुर हाथो ने हम से छीन लिया। यह दोनो ने समाज में स्वतन्त्र पत्रकारिता की मिसाल दी। धमकीयो की परवाह न करते हुए सच्चे लेख लिखे। बुद्धिजीवी आज भी इसकी मिसाल देश को देते हैं।
मैं आज बस इतना ही कह कर अपनी एवं अपने परिवार की तरफ से भगवान से यही प्रार्थना करना चाहता हूं , कि परमात्मा उनकी ‌आतमा को शांति प्रदान करे एवं परिवार वालों को भगवान हौसला दे कि वह भी उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते रहे।
वेणु एवं पिंकी लुधियाना


आज 12 मई को आदरणीय अमर शहीद रमेश चन्द्र जी की बरसी पर हम उनके सादगी, अच्छाई और सौम्यता से भरे जीवन को याद कर रहे हैं
सत्पुरुष
वही है जिसमें
संतत्व हो.. सन्तों के गुण हों
जिसके पास ज्ञान हो,
करुणा, सहनशीलता और
जिसके दिल में सभी के लिए प्यार हो।
सबके भले की कामना करता हो।
अपने प्यार और सेवा भाव से
हर इंसान को अपने नजदीक लायें
अपने सद्व्यवहार से
घृणा, द्वेष भाव को खत्म करे
और सबके हृदय में प्रेम और मानवता का दीप जलाये। आपसी प्यार से भरपूर दुनिया की कामना करे।
यह सभी विशेषताएं आदरणीय श्री रमेश चन्द्र जी के व्यक्तित्व में मौजूद थी, इसीलिए ही उन्हें महामानव कहा गया। हमारे पिता जी भी 35 वर्ष तक उनकी बरसी मनाते हुए हर कार्यक्रम पर एक पत्रकार को शहीद रमेश चन्द्र श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया करते थे।

हमेशा आपके परिवार के साथ
नवनीत कुमार


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